चुभती गर्मी से राहत पाने के लिए बाहरी चीजों को तो हम सभी तवज्जो देते हैं लेकिन खाने को भूल जाते हैं , जबकि मौसम के मुफीद खाना हमारी सेहत के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है।
गर्मियों में शरीर में पित्त बढ़ जाता है , यानी एसिड बनने लगता है। इससे निपटने के लिए कफ प्रधान या ठंडी चीजें खाना बेहतर है। यहां यह जानना जरूरी है कि कफ जब शरीर में जमा होता है तो उसके पीछे शरीर का मिजाज , मौसम और खाना , तीनों की भूमिका होती है। कफ प्रधान खाना जहां सर्दियों में शरीर के लिए नुकसानदेह है , वहीं गर्मियों में यह बॉडी को कूल रखता है। कफ प्रधान खाने की बात करें तो अनाजों में जई और चावल इस कैटिगरी में आते हैं , तो दालों में मूंग दाल।
इस मौसम में उड़द या राजमा ज्यादा नहीं खाना चाहिए क्योंकि ये शरीर में पित्त यानी गर्मी बढ़ाते हैं। लेकिन स्प्राउट्स ( अंकुरित दालें ) में सभी दालें मिला सकते हैं क्योंकि स्प्राउट्स की तासीर ठंडी हो जाती है।
देखें और जानें : सेहतमंद रहने के टिप्स
ध्यान रखें , खाना हल्का हो। उसमें फैट कम हो। गर्मियों में भारी फूड आइटम आसानी से नहीं पचते। मौसमी सब्जियां जैसे घिया , पत्ता गोभी , तोरी , टिंडा , सीताफल आदि खूब खाएं। लंच और डिनर में हल्का और जल्दी पचनेवाला कुछ भी खा सकते हैं।
ब्रेकफस्ट या स्नैक्स : ब्रेकफास्ट या स्नैक्स में भेलपुरी , ढोकला , चिवड़ा , खांडवी , ब्राउन राइस का पोहा जैसे भाप में पकी चीजें खाएं। ये लाइट भी होते हैं और टेस्टी भी।
अंडा और नॉनवेज : गर्मियों में हफ्ते में दो बार से ज्यादा नॉनवेज या अंडा न खाएं। इन्हें भी उबालकर या भाप में पकाकर खाएं। नॉनवेज में मछली या चिकन ले सकते हैं। मटन काफी हेवी होता है। उससे बचें। नॉनवेज को देसी घी में बनाने की बजाय दही में मेरिनेट कर बनाएं।
घी और तेल : गर्मियों में घी और तेल का इस्तेमाल कम करें। देसी घी , वनस्पति घी के अलावा सरसों का तेल और ऑलिव ऑयल भी कम खाएं। ये गर्म होते हैं। राइस ब्रैन , नारियल , सोयाबिन , कनोला आदि का तेल खा सकते हैं।
आइसक्रीम : गर्मियों की कल्पना भी आइसक्रीम के बिना अधूरी है। आइसक्रीम को पूरी तरह जंक फूड की कैटिगरी में नहीं रखा जा सकता क्योंकि इसमें दूध ड्राइफ्रूड्स आदि होते हैं लेकिन हाई कैलरी , हाई शुगर और प्रिजर्वेटिव होने की वजह से कम मात्रा में खाएं। हफ्ते में दो बार से ज्यादा बिल्कुल न खाएं। थोड़ी आइसक्रीम लेकर उसके साथ फ्रूट डालकर भी खा सकते हैं। इससे आइसक्रीम की क्वांटिटी कम हो जाती है।
लिक्विड हैं खास फायदेमंद
पानी : गर्मियों में पसीने से सबसे ज्यादा नुकसान शरीर को पानी और नमक का होता है। ऐसे में डी - हाइड्रेशन से बचने के लिए रोजाना 10-15 गिलास पानी पीना चाहिए। कम पानी पीने से यूटीआई ( यूरीन ट्रैक इन्फेक्शन ) भी हो सकता है। गुनगुना , नॉर्मल या हल्का ठंडा पानी पिएं। मटके का पानी पीना बेहतर है। चिल्ड ( बहुत ठंडा ) पानी नहीं पीना चाहिए। बहुत ठंडे पानी से पाचन खराब होता है। पानी में बर्फ डालकर भी नहीं पीना चाहिए। बर्फ शरीर में गर्मी पैदा करती है। एक्सरसाइज या मेहनत के काम के बाद तो बिल्कुल भी ठंडा पानी न पिएं। ऐसा करने से पिघला फैट फिर से जम जाता है। खाने से पहले जितना चाहें , पानी पी सकते हैं लेकिन खाने के बाद आधे घंटे तक पानी नहीं पीना चाहिए। खाने के साथ पानी पीने से पाचन खराब होता है।
ध्यान दें : जिन्हें किडनी प्रॉब्लम है , उन्हें पानी कम पीना चाहिए। वे डॉक्टर से पूछकर पानी पिएं। उन्हें सोडियम और पोटैशियम भी ज्यादा नहीं लेना चाहिए।
नीबू पानी : गर्मियों में जितना मुमकिन हो , नींबू पानी पीना चाहिए। नीबू पानी में थोड़ा नमक या थोड़ी चीनी और थोड़ा नमक मिलाना बेहतर है। इससे शरीर से निकले सॉल्ट्स की भरपाई होती है। थोड़ी चीनी अच्छी होती है गर्मियों में। वजन कम करना चाहते हैं तो चीनी न मिलाएं। नमक भी कम डालें।
नारियल पानी : नारियल पानी को मां के दूध के बाद सबसे बेहतर और साफ पेय माना जाता है। नारियल पानी प्रोटीन और पोटैशियम ( अच्छा सॉल्ट ) का अच्छा सोर्स है। इसका कूलिंग इफेक्ट भी काफी अच्छा है , इसलिए एसिडिटी और अल्सर में भी कारगर है। शुगर के मरीज भी नारियल पानी पी सकते हैं।
छाछ : छाछ में प्रोटीन खूब होते हें। ये शरीर के टिश्यूज को हुए नुकसान की भरपाई करते हैं। मीठी लस्सी कम पिएं। छाछ जितनी चाहें , पी सकते हैं। छाछ को आयुर्वेद में अच्छा अनुपान माना जाता है। अनुपान उन तरल चीजों को कहते हैं , जिन्हें खाने के साथ लिया जाता है , ताकि खाना अच्छी तरह पच जाए। छाछ में काला नमक , काली मिर्च , भुना जीरा डालकर पीना चाहिए। आजकल मार्केट में पैक्ड छाछ / लस्सी भी मिलती है। इसे खरीदते वक्त एक्सपायरी डेट जरूर चेक करें और देखें कि पैकेट अच्छी तरह बंद हो।
ठंडाई : ठंडाई में बादाम , सौंफ , गुलाब की पत्तियां , मगज और खस के बीज आदि होते हैं। इसे दूध में मिलाकर लिया जाता है। अगर शुगर लेवल ठीक है तो यह एक अच्छा पेय है। लेकिन इसमें ड्राइफ्रूट्स और शुगर काफी ज्यादा होने से यह मोटापा बढ़ाती है। हार्ट , हाइपर टेंशन और शुगर के मरीज ठंडाई से परहेज करें। बच्चों के लिए यह खासतौर पर अच्छी होती है।
वेजिटेबल जूस : जूस पीने से बेहतर है सब्जियां खाना। फिर भी जो लोग सब्जियों का जूस पीना चाहते हैं , वे घिया , खीरा , आंवला , टमाटर आदि का जूस मिलाकर पी सकते हैं। आयुर्वेद के मुताबिक , दो कड़वी चीजों के जूस मिलाकर कभी न पिएं क्योंकि कड़वे फल या सब्जियों में कुकुरबिट होते हैं। कुकरबिट एसिडिट होते हैं और कई बार जहरीले हो जाते हैं। वैसे , करेला शुगर के मरीजों के लिए अच्छा माना जाता है।
फ्रूट जूस : जूस में सिर्फ फ्रैकटोज होते हैं , जबकि साबुत फल में फाइबर होता है , इसलिए जूस के मुकाबले साबुत फल खाना हमेशा बेहतर है। जूस जब भी पिएं , ताजा ही पिएं। रखा हुआ जूस पीना सेहत के लिए अच्छा नहीं है। जूस को गरम करने से भी उसमें न्यूट्रिशनल वैल्यू कम होती है। गर्मियों में मौसमी या माल्टा का जूस काफी फायदेमंद है। इसी तरह , तरबूज का जूस गर्मियों का बेहतरीन पेय है लेकिन जितना मुमकिन हो , तरबूज जूस घर का ही पिएं। बाहर के जूस में इन्फेक्शन होने की आशंका होती है। ऊपर से चीनी न मिलाएं। ज्यादा पीने से लूज मोशंस हो सकते हैं। तरबूज जूस के फौरन बाद पानी न पिएं। डीहाइड्रेशन के वक्त ज्यादा जूस न पिएं क्योंकि शुगर ज्यादा होने से लूज मोशंस हो सकते हैं।
पैक्ड जूस : जब तक जरूरी न हो , पैक्ड जूस न पिएं। इनमें शुगर काफी ज्यादा होती है और प्रिजर्वेटिव भी खूब होते हैं। पैक्ड जूस पीना ही चाहते हैं तो अच्छी कंपनी का खरीदें।
रेडीमेड शरबत : मार्केट में बने बनाए तमाम शरबत आते हैं जैसे कि रसना , रूह - अफजा , खस और गुलाब आदि। ये फायदेमंद नहीं हैं। चीनी ज्यादा होने की वजह से ये मोटापा बढ़ाते हैं। हालांकि सॉफ्ट ड्रिंक से बेहतर होते हैं , खासकर हर्बल शरबत। शुगर के मरीजों को रेडीमेड शरबत से परहेज करना चाहिए।
मिल्क शेक : मिल्क शेक डबल टोंड दूध का बनाएं। शेक में फल और चीनी कम डालें , ताकि कैलरी कंट्रोल में रहें। शेक के साथ डाई - फ्रूट और आइसक्रीम न लें। खासकर मार्केट में जो शेक में ड्राइफ्रूट डालकर दिए जाते हैं , उनकी क्वॉलिटी अच्छी नहीं होती। शेक को बनाकर नहीं रखना चाहिए। केला और सेब का शेक बनाकर रखने से ऑक्सिडाइज्ड हो जाता है।
आम पना : आम पना गर्मियों का खास ड्रिंक है। कच्चे आम की तासीर ठंडी होती है। टेस्ट से भरपूर आम पना विटामिन - सी का अच्छा सोर्स है। यह स्किन और पाचन , दोनों के लिए अच्छा है। इसे लंबे समय तक रखा जा सकता है।
बेल का शरबत : बेल का शरबत एसिडिटी और कब्ज , दोनों में असरदार है। कच्चे बेल का शरबत लूज मोशंस को रोकता है तो पके बेल का शरबत कब्ज को ठीक करता है। इसका कूलिंग इफेक्ट भी काफी अच्छा होता है। यह अल्सर को भी ठीक करता है।
गोंद का तीरा : रात को एक चम्मच गोंद के दानों को एक गिलास पानी में भिगोकर रखें। सुबह पानी को फेंक दें और दानों को पीसकर एक गिलास पानी में एक चम्मच रुहअफजा या नमक नीबू के साथ मिलाकर लें। रुहअफजा और नीबू टेस्ट के लिए मिला सकते हैं। जिन्हें गर्मियों में ब्लीडिंग ( नकसीर , पाइल्स ) होती है , उनके लिए काफी मददगार।
चंदन / खस का शरबत : अगर घर में नहीं बना सकते तो मार्केट में चंदनआसन , उशीरासव ( खस ) मिलते हैं। हीट स्ट्रोक्स ( लू लगना ) में काफी मददगार है। पित्त प्रकृति के लोगों के लिए खासकर असरदार। पानी में चंदन पाउडर को पानी में उबाल कर या सत्तू का शरबत बनाकर पीना भी अच्छा है।
फ्रूट चाट
फ्रूट चाट जितनी स्वाद के लिहाज से अच्छी है , उनका सेहत के लिहाज से नहीं। वजह यह है कि सारे फलों का डायजेशन अलग - अलग वक्त पर होता है। इनका मिजाज भी अलग - अलग होता है। मसलन , केला अल्कलाइन है तो संतरा एसिडिक। दोनों को एक साथ खाने से डाइजेशन सही नहीं होता। बॉडी कन्फ्यूज हो जाती है कि एसिड वाले फलों का डाइजेशन करूं या एल्कलाइन का। अगर फ्रूट सलाद खाना ही चाहते हैं तो इसमें ऐसे फल रखें , जिनमें कार्ब और फैट ज्यादा न हों। मसलन केला , आम या चीकू कम रखें।
फल
मौसमी फल खाना सेहत के लिहाज से हमेशा बढ़िया होता है। जिन फलों के छिलके खा सकते हैं , उन्हें छिलके समेत ही खाएं। फलों को ब्रेकफस्ट से पहले , शाम में 4 बजे के आसपास खाना अच्छा है। असली फंडा है कि खाना पचने के बाद खाएं। खाने व फलों के बीच 2-3 घंटे का गैप रखें। खाने से एक घंटा पहले भी खा सकते हैं लेकिन भरे पेट न खाएं और न ही खाने के साथ खाएं। फल खाने के मुकाबले जल्दी पचते हैं। दोनों को साथ खाएंगे तो जितनी देर में खाना पचेगा , फल खराब होने लगेंगे।
नोट : फलों को ज्यादा देर पहले काटकर न रखें। इससे उनका पानी उड़ जाता है और न्यूट्रिशन वैल्यू कम होती है। चाहें तो फल और जूस साथ ले सकते हैं।
तरबूज : गर्मियों के लिए तरबूज बहुत अच्छा है , लेकिन तरबूज के साथ पानी न पिएं। दोपहर के वक्त तरबूज खाना और भी अच्छा है क्योंकि यह उस वक्त तक शरीर को पानी की जरूरत बढ़ जाती है। ऐसे में तरबूज बॉडी के डी - हाइड्रेशन को कम करता है। तरबूज को कभी भी खाने के ऑप्शन के तौर पर न लें क्योंकि इससे पूरे पोषक तत्व नहीं मिलते। नाश्ते या खाने से पहले या दो बार के खाने के बीच में खा सकते हैं। तरबूज को दूसरे फलों के साथ नहीं खाना चाहिए क्योंकि इसमें काफी पोटैशियम , प्रोटीन , पानी और फाइबर होता है। इससे या तो पेट फूला लगेगा या लूज मोशंस हो सकते हैं। खरबूज में कार्ब और शुगर ज्यादा होती है। इसे कम खाना चाहिए।
आम : आम ज्यादा नहीं खाना चाहिए। घर में पकाकर आम खाना बेहतर है , बाजार के आमों के मुकाबले। घर पर पकाने के लिए आम को अखबार में लपेटकर तीन - चार दिन के लिए छोड़ दें। बाजार से आम खरीदते हैं तो ज्यादा मुमकिन है कि वह हाइड्रोजन सल्फाइड से पकाया गया हो। ऐसे आम की तासीर काफी गरम हो जाती है। ऐसे में आम का छिलका अच्छी तरह धोएं। डंठल निकालकर आम को पानी में तीन - चार घंटे के लिए छोड़ दें। आम में विटामिन और मिनरल्स के अलावा कैलरी और शुगर काफी होती हैं। जिन्हें वजन या शुगर की प्रॉब्लम है , उन्हें आम बहुत कम खाना चाहिए। आम खाने के बाद ठंडा दूध या छाछ पीना अच्छा है। इससे आम शरीर में जाकर गर्मी नहीं करता। लेकिन इससे बेहतर है मैंगो शेक पीना। इसमें आम की तासीर ठंडी हो जाती है। लेकिन शेक डबल टोंड दूध का बनाएं और चीनी भी कम डालें , वरना वजन बढ़ाएगा।
बेर और चेरी : गर्मियों में बेर और चेरी भी खूब आते हैं। हर फल में अलग - अलग विटामिन होते हैं , इसलिए थोड़ी - थोड़ी मात्रा में सभी को खाना अच्छा है। जैसे कि बेर में बॉरोन और सल्फर जैसे माइक्रो न्यूट्रिएंट काफी होते हैं। लेकिन जो लोग एसिडिक हैं , उन्हें इन्हें कम ही खाना चाहिए। लीची में शुगर आम से भी ज्यादा होती है। बड़ों की बजाय यह बच्चों के लिए अच्छी है।
अंगूर : डी - हाइड्रेशन होने पर अंगूर से काफी मदद मिलती है। अंगूर फेफड़ों की सेहत के लिए बहुत अच्छे होते हैं। लो बीपी या लो शुगर वालों को इन्हें खाना चाहिए। खाने और अंगूर खाने के बीच कुछ फासला रखें। शुगर काफी होती है , इसलिए लिमिट में खाएं।
सेब : सेब वैसे तो साल भर आता है और इसे कभी भी खा सकते हैं लेकिन गर्मियों के मुकाबले इसे सर्दियों में खाना बेहतर है। एसिडिटी के शिकार लोगों को सेब कम खाना चाहिए। जो खाना चाहते हैं , वे छिलके समेत नमक के साथ खाएं।
केला : केला की तासीर ठंडी है। इसमें इलेक्ट्रोलाइट्स होते हैं , जो शरीर के सॉल्ट्स को बैलेंस करते हैं। मोटे लोगों और शुगर के मरीजों को नहीं खाना चाहिए।
मौसमी : मौसमी का कूलिंग इफेक्ट काफी अच्छा है। यह डाइजेशन में मदद करती है। खाना खाने से घंटा भर पहले मौसमी खाने से खाना अच्छी तरह पचता है।
ये खास फायदेमंद
दही या योगर्ट जरूर खाएं। दही और योगर्ट का फर्क जानना जरूरी है। योगर्ट आमतौर पर गाय के दूध का होता है। उसे खटाई से जमाया जाता है। योगर्ट मार्केट में अलग - अलग ब्रैंड नेम से मिलता है। आमतौर पर किसी भी दूध का जमा लेते हैं।
पुदीने की चटनी पाचन के लिए बहुत अच्छी होती है। गर्मियों में इसे खूब खाएं।
खाना चबा - चबाकर कर खाएं और भूख से थोड़ा कम खाएं। लेकिन खाली पेट न रहें। इससे बीपी लो हो जाता है और चक्कर आने लगते हैं।
कई बार लोग कोई हाई कैलरी चीज ( आइसक्रीम , आम आदि ) खाने के बाद कैलरी बैलेंस करने के लिए दिन भर भूखे रहते हैं। यह सही नहीं है। इसे शुगर लेवल डिस्टर्ब हो जाता है।
इन पर रखें कंट्रोल
तला - भुना : गर्मियों में तला - भुना नहीं खाना चाहिए। तली - भुनी चीजें शरीर में आलस पैदा करती हैं। इसकी बजाय उबला , भुना या भाप में पका खाना खाएं। गर्म मसाले कम कर दें। लाल मिर्च की बजाय काली मिर्च का इस्तेमाल करें।
चाय - कॉफी : चाय - कॉफी कम पिएं। इनसे बॉडी डी - हाइड्रेटेड होती है। ग्रीन - टी पीना बेहतर है।
स्मोकिंग / अल्कोहल : स्मोकिंग कम करें। अल्कोहल बिल्कुल न लें या फिर कम लें। लोग मानते हैं कि बियर ठंडी होती है , जोकि गलत है। ज्यादातर बियर में ग्लिसरीन होती है , जिससे शरीर डी - हाइड्रेटेड होता है।
ड्राइफ्रूट्स : गर्मियों में 5-10 बादाम रोजाना खा सकते हैं। इन्हें रात भर भिगोकर खाना चाहिए। बाकी ड्राइ - फ्रूट्स को गर्मियों में खाने की सलाह नहीं दी जाती। खाना ही चाहते हैं तो बिल्कुल लिमिट में खाएं।
शहद : शहद की तासीर काफी गरम है। इसे सोच समझकर कम मात्रा में लें।
फ्रोजन फूड : फ्रोजन फूड इमरजेंसी में ही खाना चाहिए। फ्रोजन फूड हाइजीन और टेंपरेचर के हिसाब से सही नहीं होता।
बासी खाना : बासी खाने से बचें। इसमें बैक्टीरिया पनपने की आशंका काफी ज्यादा होती है। एक रात से ज्यादा पुराना खाना न खाएं। कोई भी खाना 7-8 घंटे तक ही ठीक रहता है।
बासी खाना : बासी खाने से बचें। इसमें बैक्टीरिया पनपने की आशंका काफी ज्यादा होती है। एक रात से ज्यादा पुराना खाना न खाएं। कोई भी खाना 7-8 घंटे तक ही ठीक रहता है।
गर्मियों में शरीर में पित्त बढ़ जाता है , यानी एसिड बनने लगता है। इससे निपटने के लिए कफ प्रधान या ठंडी चीजें खाना बेहतर है। यहां यह जानना जरूरी है कि कफ जब शरीर में जमा होता है तो उसके पीछे शरीर का मिजाज , मौसम और खाना , तीनों की भूमिका होती है। कफ प्रधान खाना जहां सर्दियों में शरीर के लिए नुकसानदेह है , वहीं गर्मियों में यह बॉडी को कूल रखता है। कफ प्रधान खाने की बात करें तो अनाजों में जई और चावल इस कैटिगरी में आते हैं , तो दालों में मूंग दाल।
इस मौसम में उड़द या राजमा ज्यादा नहीं खाना चाहिए क्योंकि ये शरीर में पित्त यानी गर्मी बढ़ाते हैं। लेकिन स्प्राउट्स ( अंकुरित दालें ) में सभी दालें मिला सकते हैं क्योंकि स्प्राउट्स की तासीर ठंडी हो जाती है।
देखें और जानें : सेहतमंद रहने के टिप्स
ध्यान रखें , खाना हल्का हो। उसमें फैट कम हो। गर्मियों में भारी फूड आइटम आसानी से नहीं पचते। मौसमी सब्जियां जैसे घिया , पत्ता गोभी , तोरी , टिंडा , सीताफल आदि खूब खाएं। लंच और डिनर में हल्का और जल्दी पचनेवाला कुछ भी खा सकते हैं।
ब्रेकफस्ट या स्नैक्स : ब्रेकफास्ट या स्नैक्स में भेलपुरी , ढोकला , चिवड़ा , खांडवी , ब्राउन राइस का पोहा जैसे भाप में पकी चीजें खाएं। ये लाइट भी होते हैं और टेस्टी भी।
अंडा और नॉनवेज : गर्मियों में हफ्ते में दो बार से ज्यादा नॉनवेज या अंडा न खाएं। इन्हें भी उबालकर या भाप में पकाकर खाएं। नॉनवेज में मछली या चिकन ले सकते हैं। मटन काफी हेवी होता है। उससे बचें। नॉनवेज को देसी घी में बनाने की बजाय दही में मेरिनेट कर बनाएं।
घी और तेल : गर्मियों में घी और तेल का इस्तेमाल कम करें। देसी घी , वनस्पति घी के अलावा सरसों का तेल और ऑलिव ऑयल भी कम खाएं। ये गर्म होते हैं। राइस ब्रैन , नारियल , सोयाबिन , कनोला आदि का तेल खा सकते हैं।
आइसक्रीम : गर्मियों की कल्पना भी आइसक्रीम के बिना अधूरी है। आइसक्रीम को पूरी तरह जंक फूड की कैटिगरी में नहीं रखा जा सकता क्योंकि इसमें दूध ड्राइफ्रूड्स आदि होते हैं लेकिन हाई कैलरी , हाई शुगर और प्रिजर्वेटिव होने की वजह से कम मात्रा में खाएं। हफ्ते में दो बार से ज्यादा बिल्कुल न खाएं। थोड़ी आइसक्रीम लेकर उसके साथ फ्रूट डालकर भी खा सकते हैं। इससे आइसक्रीम की क्वांटिटी कम हो जाती है।
लिक्विड हैं खास फायदेमंद
पानी : गर्मियों में पसीने से सबसे ज्यादा नुकसान शरीर को पानी और नमक का होता है। ऐसे में डी - हाइड्रेशन से बचने के लिए रोजाना 10-15 गिलास पानी पीना चाहिए। कम पानी पीने से यूटीआई ( यूरीन ट्रैक इन्फेक्शन ) भी हो सकता है। गुनगुना , नॉर्मल या हल्का ठंडा पानी पिएं। मटके का पानी पीना बेहतर है। चिल्ड ( बहुत ठंडा ) पानी नहीं पीना चाहिए। बहुत ठंडे पानी से पाचन खराब होता है। पानी में बर्फ डालकर भी नहीं पीना चाहिए। बर्फ शरीर में गर्मी पैदा करती है। एक्सरसाइज या मेहनत के काम के बाद तो बिल्कुल भी ठंडा पानी न पिएं। ऐसा करने से पिघला फैट फिर से जम जाता है। खाने से पहले जितना चाहें , पानी पी सकते हैं लेकिन खाने के बाद आधे घंटे तक पानी नहीं पीना चाहिए। खाने के साथ पानी पीने से पाचन खराब होता है।
ध्यान दें : जिन्हें किडनी प्रॉब्लम है , उन्हें पानी कम पीना चाहिए। वे डॉक्टर से पूछकर पानी पिएं। उन्हें सोडियम और पोटैशियम भी ज्यादा नहीं लेना चाहिए।
नीबू पानी : गर्मियों में जितना मुमकिन हो , नींबू पानी पीना चाहिए। नीबू पानी में थोड़ा नमक या थोड़ी चीनी और थोड़ा नमक मिलाना बेहतर है। इससे शरीर से निकले सॉल्ट्स की भरपाई होती है। थोड़ी चीनी अच्छी होती है गर्मियों में। वजन कम करना चाहते हैं तो चीनी न मिलाएं। नमक भी कम डालें।
नारियल पानी : नारियल पानी को मां के दूध के बाद सबसे बेहतर और साफ पेय माना जाता है। नारियल पानी प्रोटीन और पोटैशियम ( अच्छा सॉल्ट ) का अच्छा सोर्स है। इसका कूलिंग इफेक्ट भी काफी अच्छा है , इसलिए एसिडिटी और अल्सर में भी कारगर है। शुगर के मरीज भी नारियल पानी पी सकते हैं।
छाछ : छाछ में प्रोटीन खूब होते हें। ये शरीर के टिश्यूज को हुए नुकसान की भरपाई करते हैं। मीठी लस्सी कम पिएं। छाछ जितनी चाहें , पी सकते हैं। छाछ को आयुर्वेद में अच्छा अनुपान माना जाता है। अनुपान उन तरल चीजों को कहते हैं , जिन्हें खाने के साथ लिया जाता है , ताकि खाना अच्छी तरह पच जाए। छाछ में काला नमक , काली मिर्च , भुना जीरा डालकर पीना चाहिए। आजकल मार्केट में पैक्ड छाछ / लस्सी भी मिलती है। इसे खरीदते वक्त एक्सपायरी डेट जरूर चेक करें और देखें कि पैकेट अच्छी तरह बंद हो।
ठंडाई : ठंडाई में बादाम , सौंफ , गुलाब की पत्तियां , मगज और खस के बीज आदि होते हैं। इसे दूध में मिलाकर लिया जाता है। अगर शुगर लेवल ठीक है तो यह एक अच्छा पेय है। लेकिन इसमें ड्राइफ्रूट्स और शुगर काफी ज्यादा होने से यह मोटापा बढ़ाती है। हार्ट , हाइपर टेंशन और शुगर के मरीज ठंडाई से परहेज करें। बच्चों के लिए यह खासतौर पर अच्छी होती है।
वेजिटेबल जूस : जूस पीने से बेहतर है सब्जियां खाना। फिर भी जो लोग सब्जियों का जूस पीना चाहते हैं , वे घिया , खीरा , आंवला , टमाटर आदि का जूस मिलाकर पी सकते हैं। आयुर्वेद के मुताबिक , दो कड़वी चीजों के जूस मिलाकर कभी न पिएं क्योंकि कड़वे फल या सब्जियों में कुकुरबिट होते हैं। कुकरबिट एसिडिट होते हैं और कई बार जहरीले हो जाते हैं। वैसे , करेला शुगर के मरीजों के लिए अच्छा माना जाता है।
फ्रूट जूस : जूस में सिर्फ फ्रैकटोज होते हैं , जबकि साबुत फल में फाइबर होता है , इसलिए जूस के मुकाबले साबुत फल खाना हमेशा बेहतर है। जूस जब भी पिएं , ताजा ही पिएं। रखा हुआ जूस पीना सेहत के लिए अच्छा नहीं है। जूस को गरम करने से भी उसमें न्यूट्रिशनल वैल्यू कम होती है। गर्मियों में मौसमी या माल्टा का जूस काफी फायदेमंद है। इसी तरह , तरबूज का जूस गर्मियों का बेहतरीन पेय है लेकिन जितना मुमकिन हो , तरबूज जूस घर का ही पिएं। बाहर के जूस में इन्फेक्शन होने की आशंका होती है। ऊपर से चीनी न मिलाएं। ज्यादा पीने से लूज मोशंस हो सकते हैं। तरबूज जूस के फौरन बाद पानी न पिएं। डीहाइड्रेशन के वक्त ज्यादा जूस न पिएं क्योंकि शुगर ज्यादा होने से लूज मोशंस हो सकते हैं।
पैक्ड जूस : जब तक जरूरी न हो , पैक्ड जूस न पिएं। इनमें शुगर काफी ज्यादा होती है और प्रिजर्वेटिव भी खूब होते हैं। पैक्ड जूस पीना ही चाहते हैं तो अच्छी कंपनी का खरीदें।
रेडीमेड शरबत : मार्केट में बने बनाए तमाम शरबत आते हैं जैसे कि रसना , रूह - अफजा , खस और गुलाब आदि। ये फायदेमंद नहीं हैं। चीनी ज्यादा होने की वजह से ये मोटापा बढ़ाते हैं। हालांकि सॉफ्ट ड्रिंक से बेहतर होते हैं , खासकर हर्बल शरबत। शुगर के मरीजों को रेडीमेड शरबत से परहेज करना चाहिए।
मिल्क शेक : मिल्क शेक डबल टोंड दूध का बनाएं। शेक में फल और चीनी कम डालें , ताकि कैलरी कंट्रोल में रहें। शेक के साथ डाई - फ्रूट और आइसक्रीम न लें। खासकर मार्केट में जो शेक में ड्राइफ्रूट डालकर दिए जाते हैं , उनकी क्वॉलिटी अच्छी नहीं होती। शेक को बनाकर नहीं रखना चाहिए। केला और सेब का शेक बनाकर रखने से ऑक्सिडाइज्ड हो जाता है।
आम पना : आम पना गर्मियों का खास ड्रिंक है। कच्चे आम की तासीर ठंडी होती है। टेस्ट से भरपूर आम पना विटामिन - सी का अच्छा सोर्स है। यह स्किन और पाचन , दोनों के लिए अच्छा है। इसे लंबे समय तक रखा जा सकता है।
बेल का शरबत : बेल का शरबत एसिडिटी और कब्ज , दोनों में असरदार है। कच्चे बेल का शरबत लूज मोशंस को रोकता है तो पके बेल का शरबत कब्ज को ठीक करता है। इसका कूलिंग इफेक्ट भी काफी अच्छा होता है। यह अल्सर को भी ठीक करता है।
गोंद का तीरा : रात को एक चम्मच गोंद के दानों को एक गिलास पानी में भिगोकर रखें। सुबह पानी को फेंक दें और दानों को पीसकर एक गिलास पानी में एक चम्मच रुहअफजा या नमक नीबू के साथ मिलाकर लें। रुहअफजा और नीबू टेस्ट के लिए मिला सकते हैं। जिन्हें गर्मियों में ब्लीडिंग ( नकसीर , पाइल्स ) होती है , उनके लिए काफी मददगार।
चंदन / खस का शरबत : अगर घर में नहीं बना सकते तो मार्केट में चंदनआसन , उशीरासव ( खस ) मिलते हैं। हीट स्ट्रोक्स ( लू लगना ) में काफी मददगार है। पित्त प्रकृति के लोगों के लिए खासकर असरदार। पानी में चंदन पाउडर को पानी में उबाल कर या सत्तू का शरबत बनाकर पीना भी अच्छा है।
फ्रूट चाट
फ्रूट चाट जितनी स्वाद के लिहाज से अच्छी है , उनका सेहत के लिहाज से नहीं। वजह यह है कि सारे फलों का डायजेशन अलग - अलग वक्त पर होता है। इनका मिजाज भी अलग - अलग होता है। मसलन , केला अल्कलाइन है तो संतरा एसिडिक। दोनों को एक साथ खाने से डाइजेशन सही नहीं होता। बॉडी कन्फ्यूज हो जाती है कि एसिड वाले फलों का डाइजेशन करूं या एल्कलाइन का। अगर फ्रूट सलाद खाना ही चाहते हैं तो इसमें ऐसे फल रखें , जिनमें कार्ब और फैट ज्यादा न हों। मसलन केला , आम या चीकू कम रखें।
फल
मौसमी फल खाना सेहत के लिहाज से हमेशा बढ़िया होता है। जिन फलों के छिलके खा सकते हैं , उन्हें छिलके समेत ही खाएं। फलों को ब्रेकफस्ट से पहले , शाम में 4 बजे के आसपास खाना अच्छा है। असली फंडा है कि खाना पचने के बाद खाएं। खाने व फलों के बीच 2-3 घंटे का गैप रखें। खाने से एक घंटा पहले भी खा सकते हैं लेकिन भरे पेट न खाएं और न ही खाने के साथ खाएं। फल खाने के मुकाबले जल्दी पचते हैं। दोनों को साथ खाएंगे तो जितनी देर में खाना पचेगा , फल खराब होने लगेंगे।
नोट : फलों को ज्यादा देर पहले काटकर न रखें। इससे उनका पानी उड़ जाता है और न्यूट्रिशन वैल्यू कम होती है। चाहें तो फल और जूस साथ ले सकते हैं।
तरबूज : गर्मियों के लिए तरबूज बहुत अच्छा है , लेकिन तरबूज के साथ पानी न पिएं। दोपहर के वक्त तरबूज खाना और भी अच्छा है क्योंकि यह उस वक्त तक शरीर को पानी की जरूरत बढ़ जाती है। ऐसे में तरबूज बॉडी के डी - हाइड्रेशन को कम करता है। तरबूज को कभी भी खाने के ऑप्शन के तौर पर न लें क्योंकि इससे पूरे पोषक तत्व नहीं मिलते। नाश्ते या खाने से पहले या दो बार के खाने के बीच में खा सकते हैं। तरबूज को दूसरे फलों के साथ नहीं खाना चाहिए क्योंकि इसमें काफी पोटैशियम , प्रोटीन , पानी और फाइबर होता है। इससे या तो पेट फूला लगेगा या लूज मोशंस हो सकते हैं। खरबूज में कार्ब और शुगर ज्यादा होती है। इसे कम खाना चाहिए।
आम : आम ज्यादा नहीं खाना चाहिए। घर में पकाकर आम खाना बेहतर है , बाजार के आमों के मुकाबले। घर पर पकाने के लिए आम को अखबार में लपेटकर तीन - चार दिन के लिए छोड़ दें। बाजार से आम खरीदते हैं तो ज्यादा मुमकिन है कि वह हाइड्रोजन सल्फाइड से पकाया गया हो। ऐसे आम की तासीर काफी गरम हो जाती है। ऐसे में आम का छिलका अच्छी तरह धोएं। डंठल निकालकर आम को पानी में तीन - चार घंटे के लिए छोड़ दें। आम में विटामिन और मिनरल्स के अलावा कैलरी और शुगर काफी होती हैं। जिन्हें वजन या शुगर की प्रॉब्लम है , उन्हें आम बहुत कम खाना चाहिए। आम खाने के बाद ठंडा दूध या छाछ पीना अच्छा है। इससे आम शरीर में जाकर गर्मी नहीं करता। लेकिन इससे बेहतर है मैंगो शेक पीना। इसमें आम की तासीर ठंडी हो जाती है। लेकिन शेक डबल टोंड दूध का बनाएं और चीनी भी कम डालें , वरना वजन बढ़ाएगा।
बेर और चेरी : गर्मियों में बेर और चेरी भी खूब आते हैं। हर फल में अलग - अलग विटामिन होते हैं , इसलिए थोड़ी - थोड़ी मात्रा में सभी को खाना अच्छा है। जैसे कि बेर में बॉरोन और सल्फर जैसे माइक्रो न्यूट्रिएंट काफी होते हैं। लेकिन जो लोग एसिडिक हैं , उन्हें इन्हें कम ही खाना चाहिए। लीची में शुगर आम से भी ज्यादा होती है। बड़ों की बजाय यह बच्चों के लिए अच्छी है।
अंगूर : डी - हाइड्रेशन होने पर अंगूर से काफी मदद मिलती है। अंगूर फेफड़ों की सेहत के लिए बहुत अच्छे होते हैं। लो बीपी या लो शुगर वालों को इन्हें खाना चाहिए। खाने और अंगूर खाने के बीच कुछ फासला रखें। शुगर काफी होती है , इसलिए लिमिट में खाएं।
सेब : सेब वैसे तो साल भर आता है और इसे कभी भी खा सकते हैं लेकिन गर्मियों के मुकाबले इसे सर्दियों में खाना बेहतर है। एसिडिटी के शिकार लोगों को सेब कम खाना चाहिए। जो खाना चाहते हैं , वे छिलके समेत नमक के साथ खाएं।
केला : केला की तासीर ठंडी है। इसमें इलेक्ट्रोलाइट्स होते हैं , जो शरीर के सॉल्ट्स को बैलेंस करते हैं। मोटे लोगों और शुगर के मरीजों को नहीं खाना चाहिए।
मौसमी : मौसमी का कूलिंग इफेक्ट काफी अच्छा है। यह डाइजेशन में मदद करती है। खाना खाने से घंटा भर पहले मौसमी खाने से खाना अच्छी तरह पचता है।
ये खास फायदेमंद
दही या योगर्ट जरूर खाएं। दही और योगर्ट का फर्क जानना जरूरी है। योगर्ट आमतौर पर गाय के दूध का होता है। उसे खटाई से जमाया जाता है। योगर्ट मार्केट में अलग - अलग ब्रैंड नेम से मिलता है। आमतौर पर किसी भी दूध का जमा लेते हैं।
पुदीने की चटनी पाचन के लिए बहुत अच्छी होती है। गर्मियों में इसे खूब खाएं।
खाना चबा - चबाकर कर खाएं और भूख से थोड़ा कम खाएं। लेकिन खाली पेट न रहें। इससे बीपी लो हो जाता है और चक्कर आने लगते हैं।
कई बार लोग कोई हाई कैलरी चीज ( आइसक्रीम , आम आदि ) खाने के बाद कैलरी बैलेंस करने के लिए दिन भर भूखे रहते हैं। यह सही नहीं है। इसे शुगर लेवल डिस्टर्ब हो जाता है।
इन पर रखें कंट्रोल
तला - भुना : गर्मियों में तला - भुना नहीं खाना चाहिए। तली - भुनी चीजें शरीर में आलस पैदा करती हैं। इसकी बजाय उबला , भुना या भाप में पका खाना खाएं। गर्म मसाले कम कर दें। लाल मिर्च की बजाय काली मिर्च का इस्तेमाल करें।
चाय - कॉफी : चाय - कॉफी कम पिएं। इनसे बॉडी डी - हाइड्रेटेड होती है। ग्रीन - टी पीना बेहतर है।
स्मोकिंग / अल्कोहल : स्मोकिंग कम करें। अल्कोहल बिल्कुल न लें या फिर कम लें। लोग मानते हैं कि बियर ठंडी होती है , जोकि गलत है। ज्यादातर बियर में ग्लिसरीन होती है , जिससे शरीर डी - हाइड्रेटेड होता है।
ड्राइफ्रूट्स : गर्मियों में 5-10 बादाम रोजाना खा सकते हैं। इन्हें रात भर भिगोकर खाना चाहिए। बाकी ड्राइ - फ्रूट्स को गर्मियों में खाने की सलाह नहीं दी जाती। खाना ही चाहते हैं तो बिल्कुल लिमिट में खाएं।
शहद : शहद की तासीर काफी गरम है। इसे सोच समझकर कम मात्रा में लें।
फ्रोजन फूड : फ्रोजन फूड इमरजेंसी में ही खाना चाहिए। फ्रोजन फूड हाइजीन और टेंपरेचर के हिसाब से सही नहीं होता।
बासी खाना : बासी खाने से बचें। इसमें बैक्टीरिया पनपने की आशंका काफी ज्यादा होती है। एक रात से ज्यादा पुराना खाना न खाएं। कोई भी खाना 7-8 घंटे तक ही ठीक रहता है।
बासी खाना : बासी खाने से बचें। इसमें बैक्टीरिया पनपने की आशंका काफी ज्यादा होती है। एक रात से ज्यादा पुराना खाना न खाएं। कोई भी खाना 7-8 घंटे तक ही ठीक रहता है।
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